प्रभु श्रीराम जब राजा के रूप में अयोध्या में स्वयं विराजमान होंगे, तो धर्म की ध्वजा विश्व में फहराएगी। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अभिजीत मुहूर्त देने वाले पं.गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ का मानना है कि इससे रामजी की राज्यवृद्धि होगी अर्थात नीति के अनुसार शासन कार्य चलेगा।
पंच संकल्प
काशी विद्वत परिषद ने श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को पंच संकल्प करने की सलाह दी है। इसमें राष्ट्ररक्षा, मानव कल्याण, विश्वशांति, सनातन धर्म की ध्वजा शिखर पर फहराने और भारत को विश्वगुरु बनने का संकल्प लिया जाएगा।
17 से शुरू होंगे अनुष्ठान
कर्मकांडी पंडित लक्ष्मीकांत द्विवेदी के अनुसार, समारोह के अनुष्ठान प्रायश्चित संस्कार के बाद शुरू होंगे। 17 को नगर भ्रमण, 18 को सभी देवताओं का स्थापन, विद्वानों का वरण, कुटीर कर्म के बाद भगवान का जलाधिवास होगा। 19 को अरणी मंथन से यज्ञ की अग्नि प्रज्ज्वलित होगी। इसके बाद नवग्रह होम होगा। राममंदिर की वास्तु शांति होगी। 81 कलशों के जल से शुद्धिकरण होगा। 20 को घृताधिवास, 21 को सहस्त्रछिद्र कलश से स्नान के बाद श्रीराम की दिव्य दृष्टि खोली जाएगी व नेत्रोमिलन संस्कार होगा। शोभायात्रा के बाद शय्याधिवास कराया जाएगा। 22 को 84 सेकंड के शुभ मुहूर्त में भगवान गर्भगृह में विराजमान होंगे।
चंपत राय बोले- अचल मूर्ति 22 को ही होगी सार्वजनिक
भक्तों को रामलला की अचल मूर्ति का दर्शन 23 जनवरी से ही प्राप्त होगा। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने साफ कहा है कि प्राण प्रतिष्ठित होने वाली अचल मूर्ति 22 जनवरी को ही सार्वजनिक की जाएगी। जिस विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा होनी है उसका चयन कर लिया गया है।
- नगर भ्रमण में अचल मूर्ति का दर्शन होगा या नहीं, चंपत राय ने कहा, जनता-जनार्दन को 23 जनवरी से रामलला के दर्शन प्राप्त होंगे। प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारी अंतिम चरण में है। मंदिर के दरवाजाें पर सोने की परत चढ़ाने का काम पूरा हो चुका है। भगवान के कपड़े तैयार किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि रामजन्मभूमि परिसर के 70 फीसदी भाग में हरियाली होगी।