आजकल आक्रामक बाज़ारीकरण के कारण कुछ भी बेचा जा रहा हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए जहर का काम करते हैं स्वस्थ्य शरीर के लिए जरूरी है सही और पर्याप्त मात्रा में भोजन का सेवन। लेकिन कई बार स्वस्थ्य और हानिरहित और हानिकारक खाद्यों की जानकारी के अभाव में लोग भोजन में ऐसे खाद्य सामग्रियों को शामिल करते हैं जो शरीर के लिए किसी जहर से कम नहीं है।
घर का खाना सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। लेकिन घर का खाना भी बाहर के खाने जितना ही हानिकारक हो सकता है यदि आपको ऐसे खाद्यों के बारे में नहीं पता जो शरीर को बीमार करने का काम करते हैं।
हमारे रसोई में ऐसी कई चीजें हैं जिसे हम रोज अपने स्वादानुसार इस्तेमाल कर रहें हैं पर वह आपके स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं है। जिनके अतिरिक्त सेवन को कंट्रोल करके आप कई सारी बीमारियों के जोखिम को कम कर सकते हैं।
शक्कर
सफेद चीनी लगभग हर किचन में रखा होता है। यह मीठी चीनी चाय, कॉफी, मिल्कशेक और अन्य व्यंजनों में इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन शक्कर सेहत के लिए हानिकारक होता है।
गन्ने को साफ़ करके उसका रस निकालकर उसमे चूना मिलाया जाता हैं एवं इस प्रक्रिया द्वारा मेल निकालकर रस को गाढ़ा करके सेंटरोफूज द्वारा और मेल निकाला जाता हैं .साफ़ रस में सल्फर डाई ऑक्साइड, फास्फोरिक एसिड आदि मिलकर रिफाइंड किया जाता हैं .अंत में मटमैले रंग को साफ करने उसे जानवरों की हड्डियों से बने पावडर द्वारा सफ़ेद बनाया जाता हैं, जो हानिकारक होता हैं .शक्कर की जगह बिना केमिकल वाला चाकलेटी या गाढ़े रंग का गुड़ हितकर हैं।
, बहुत अधिक चीनी का सेवन करने से उच्च रक्तचाप, सूजन, वजन बढ़ना, मधुमेह और फैटी लीवर की बीमारी हो सकती है। जो स्ट्रोक और हृदय रोग के खतरे को दोगुना कर देती है।
मैदा
गेहू का पृष्ठ भाग एवं अंकुर जिसमे आवश्यक फैट, विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट, प्रोटीन्स आदि प्रचुर मात्रा में हैं जो कि मैदा बनाने के पहले निकाल दिए जाते है और गेंहू के मध्य भाग जिसमे कार्बोहइड्रेट अर्थात स्टार्च शक्कर, ग्लूकोस ही प्रचुर मात्रा मैं हैं को महीन पीसकर पाउडर बनाया जाता हैं बेंज़ोइक परा ऑक्साीड से इसे चमकीला सफ़ेद बनाया जाता हैं यह मैदा होता हैं इसमें कई रसायन मिलाये जाते हैं जिससे यह लम्बे समय तक बना रहता हैं।
मैदा कई तरह के व्यंजनों को बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही आपकी रसोई में कुकीज़, केक, ब्रेड और पास्ता में भी मैदा मौजूद होता है। मैदा के अत्यधिक सेवन से वजन बढ़ना, चयापचय संबंधी समस्याएं, हृदय रोग और यहां तक कि कैंसर भी हो सकता है।
नमक
आयोडाइड नमक में कोई आयोडीन नामक तत्व नहीं होता .समुद्र के पानी और धुप की गर्मी से वाष्पित बनने वाले नमक में सोडियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटेशियम जैसे तत्व का अनुपात संतुलित होता हैं। ज्यादा नमक खाने से २८ प्रतिशत तक मौत का खतरा बढ़ जाता है। नमक के बिना खाने का स्वाद आपको फीका लग सकता है लेकिन इसे कम मात्रा में खाना समझदारी है।
हम रोज सब्ज्यिओं में दालों में यूरिया, अमोनिया, पोस्फेटे जैसे जहरीले रसायन घुले रहते हैं जिसके कारण ये विष हमारे शरीर में जाते हैं, हम साल भर में लगभग ७० मिलीग्राम विष खा लेते हैं। नमक का अधिक सेवन उच्च रक्तदाब, किडनी, लकवा जैसी बीमारी का न्योता देता हैं।
तेल
यदि आपके घर में पकोड़े, तले हुए प्याज, फ्रेंच फ्राइज़, फ्रोजन फूड आदि खाना पसंद करते हैं तो तेल का ज्यादा इस्तेमाल वाजिब है। ये पसंद दिल का दौरा, स्ट्रोक, स्तन/डिम्बग्रंथि के कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अस्वस्थ वजन और जोड़ों के दर्द सहित अन्य के जोखिम को बढ़ाने का काम करती है।
आजकल नमी गिरामी तेल बनाने वाली कंपनियां खाद्य तेलों में पाम आयल मिलाते हैं .रिफाइंड तेल बहुत ही हानिकारक होते हैं।
इस बात का रखें ध्यान
तेल, नमक या किसी अन्य खाद्य पदार्थ को खाना बंद करने के बजाय, स्वस्थ विकल्पों पर ध्यान केंद्रित करना और सीमित मात्रा में इन खाद्य पदार्थों का सेवन करना जरूरी होता है। उदाहरण के लिए, रिफाइंड आटे को अन्य प्रकार के स्वस्थ और फाइबर युक्त आटे जैसे रागी या साबुत गेहूं के आटे का सेवन करें। चीनी की जगह गुड़ का सेवन करें। ये छोटे-छोटे बदलाव आपके स्वास्थ्य के साथ-साथ आपके परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य में भी सुधार ला सकते हैं।
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