‘हमारे बारह’ के निर्माताओं को राहत, बॉम्बे HC ने कहा- इसमें मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कुछ भी नहीं

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बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि उसने अभिनेता अन्नू कपूर अभिनीत फिल्म ‘हमारे बारह’ देखी और इसमें ऐसा कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया, जो कुरान या मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हो। कोर्ट ने पाया कि इस फिल्म का वास्तव में उद्देश्य महिलाओं का उत्थान करना है। इसमें यह भी कहा गया कि भारतीय जनता भोली-भाली या मूर्ख नहीं है। न्यायमूर्ति बी पी कोलाबावाला और फिरदोश पूनीवाला की खंडपीठ ने कहा कि फिल्म का पहला ट्रेलर आपत्तिजनक था, लेकिन उसे हटा दिया गया है और ऐसे सभी आपत्तिजनक दृश्य फिल्म से हटा दिए गए हैं।

महिलाओं के उत्थान के लिए है फिल्म
अदालत ने कहा कि यह वास्तव में एक सोचने वाली फिल्म थी और उस तरह की नहीं, जहां दर्शकों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने दिमाग को घर पर रखें और केवल इसका आनंद लें। फिल्म वास्तव में महिलाओं के उत्थान के लिए है। फिल्म में एक मौलाना कुरान की गलत व्याख्या करता है और वास्तव में एक मुस्लिम व्यक्ति इस दृश्य पर आपत्ति जताता है, इसलिए इससे पता चलता है कि लोगों को अपने दिमाग का इस्तेमाल करना चाहिए और ऐसे मौलानाओं का आंख मूंदकर अनुसरण नहीं करना चाहिए। इस महीने की शुरुआत में हाई कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं।

फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग
याचिकाओं मे फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि यह मुस्लिम समुदाय के प्रति अपमानजनक है और कुरान में कही गई बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। शुरुआत में उच्च न्यायालय ने फिल्म की रिलीज को स्थगित कर दिया था, लेकिन बाद में निर्माताओं ने कहा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के निर्देशानुसार आपत्तिजनक हिस्से हटा दिए जाएंगे, जिसके बाद उसने रिलीज की अनुमति दे दी थी। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसने पिछले हफ्ते फिल्म की रिलीज पर रोक लगा दी और हाई कोर्ट को सुनवाई करने और उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने आपत्तिजनक हिस्से हटाने के बाद फिल्म देखी
जस्टिस कोलाबावाला की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि कोर्ट ने सभी आपत्तिजनक हिस्से हटाने के बाद फिल्म देखी है और इसमें ऐसा कुछ भी नहीं मिला जिससे हिंसा भड़कती हो। अदालत ने कहा कि उसके पास कुछ दृश्यों पर कुछ सुझाव हैं, जो अभी भी थोड़े आपत्तिजनक हो सकते हैं। पीठ ने कहा कि यदि सभी संबंधित पक्ष आपत्तिजनक हिस्सों को हटाने पर सहमत होते हैं तो सहमति की शर्तें प्रस्तुत की जा सकती हैं, जिसके बाद अदालत बुधवार को फिल्म की रिलीज की अनुमति देने का आदेश पारित करेगी।

फिल्म के निर्माताओं पर जुर्माना
हालांकि, पीठ ने कहा कि सेंसर बोर्ड से प्रमाणन मिलने से पहले ही फिल्म का ट्रेलर जारी करने के लिए वह फिल्म के निर्माताओं पर जुर्माना लगाएगी। अदालत ने कहा, ‘ट्रेलर में उल्लंघन किया गया था, इसलिए आपको याचिकाकर्ता की पसंद की चैरिटी के लिए कुछ भुगतान करना होगा। लागत का भुगतान करना होगा। इस मुकदमेबाजी से फिल्म का प्रचार हुआ है। हमें नहीं लगता कि फिल्म में ऐसा कुछ है, जो हिंसा भड़काएगा, अगर हमें ऐसा लगता है तो हम इस पर आपत्ति जताने वाले पहले व्यक्ति होंगे। भारतीय जनता इतनी भोली या मूर्ख नहीं है।’

ट्रेलर और पोस्टर थे परेशान करने वाले
हालांकि, पीठ ने कहा कि वह याचिकाकर्ताओं से सहमत है कि ट्रेलर और पोस्टर परेशान करने वाले थे। अदालत ने फिल्म के निर्माताओं को सावधान रहने और रचनात्मक स्वतंत्रता की आड़ में किसी भी धर्म की भावनाओं को आहत करने वाले संवाद और दृश्य शामिल नहीं करने की चेतावनी दी। अदालत ने कहा, ‘निर्माताओं को भी सावधान रहना चाहिए कि वे क्या डालते हैं। वे किसी भी धर्म की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचा सकते। मुस्लिम इस देश का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है। फिल्म में एक दृश्य है जहां पात्र अपनी बेटी को मारने की धमकी देता है और फिर भगवान का नाम लेता है। यह आपत्तिजनक हो सकता है। भगवान के नाम पर ऐसा कुछ करने से गलत संकेत जा सकता है। इस एक पंक्ति को हटाने से निर्माता की रचनात्मक स्वतंत्रता में कोई बाधा नहीं आएगी।

फिल्म देखे बिना हुई बयानबाजी
पीठ ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि याचिकाकर्ता फिल्म के खिलाफ ऐसे बयान दे रहे हैं, जबकि उन्होंने फिल्म देखी ही नहीं है। फिल्म एक प्रभावशाली व्यक्ति और उसके परिवार के बारे में है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि फिल्म घरेलू हिंसा को बढ़ावा देती है, जिस पर पीठ ने कहा कि घरेलू हिंसा को केवल एक समुदाय तक सीमित नहीं कहा जा सकता। यह फिल्म पहले 7 जून और फिर 14 जून को रिलीज होने वाली थी।

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