सोनिया-खरगे के अयोध्या जाने से इनकार पर शुरू हुई बयानबाजी; भाजपा ने कहा- जनता करेगी उनका बहिष्कार

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नई दिल्ली। अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी शामिल नहीं होंगे। कांग्रेस के महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने बयान जारी कर इस बारे में जानकारी दी है। कांग्रेस के शीर्ष धड़े द्वारा न्योते से इनकार करने के बाद से इसे लेकर बयानबाजी शुरू हो गई है। भाजपा ने जहां इसे सनातन का अपमान बताया है वहीं, कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि यह साफ तौर पर आरएसएस और भाजपा का कार्यक्रम है।

जानें इस मुद्दे पर किसने क्या कहा? 

कांग्रेस का जनता करेगी बहिष्कार- अनुराग ठाकुर
कांग्रेस द्वारा 22 जनवरी को अयोध्या  होने वाले प्रभु राम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया गया है। कांग्रेस के इस रुख की भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने आलोचना की है। उन्होंने कहा कि ये वही कांग्रेस है, जिसने भगवान राम को काल्पनिक बताया था। आज जब कांग्रेस ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार किया है तो साफ देखा जा सकता है कि आने वाले भविष्य में भारत की जनता भी उनका बहिष्कार करेगी।

वे अपनी बयानबाजी में फंसे- हरदीप पुरी
वहीं, राम मंदिर ‘प्राण प्रतिष्ठा’ का निमंत्रण कांग्रेस द्वारा ठुकराने पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी प्रतिक्रिया  दी। उन्होंने कहा कि वे अपनी बयानबाजी में फंसे हुए हैं। हम उन्हें गंभीरता से क्यों लें? अगर वे नहीं जाएंगे तो उन्हें पछतावा होगा।

शुरू से ही कांग्रेस की यही मानसिकता रही- मनोज तिवारी
मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी द्वारा अयोध्या में राम मंदिर के ‘प्राणप्रतिष्ठा’ समारोह के निमंत्रण को अस्वीकार करने पर भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि वे भगवान के दर्शन के लिए कैसे जाएंगे? क्या यह सच नहीं है कि कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ अधिवक्ताओं को सिर्फ यह सुनिश्चित करने के लिए मैदान में नहीं उतारा है कि वहां राम मंदिर का निर्माण न हो? मनोज तिवारी ने आगे कहा कि कांग्रेस ने भगवान राम को एक काल्पनिक चरित्र कहा। राम सेतु को खारिज कर दिया। शुरू से ही उनकी यही मानसिकता रही है। मुझे नहीं लगता कि उनकी सोच बदलने वाली है, लेकिन देश की जनता ने संदेश दे दिया है कि उनके मन में भगवान राम के अलावा पीएम मोदी भी बसते हैं। भगवान राम सिर्फ बीजेपी और आरएसएस के नहीं बल्कि हर व्यक्ति के हैं। अगर कांग्रेस को लगता है कि भगवान राम उनके नहीं हैं तो ये उनकी समस्या है।

वे वहां मंदिर नहीं चाहते थे यह उसी का हिस्सा- भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली 
राम मंदिर की ‘प्राणप्रतिष्ठा’ समारोह के निमंत्रण को कांग्रेस नेताओं द्वारा अस्वीकार करने पर भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। पिछले कुछ दशकों से  कांग्रेस पार्टी ने यह देखने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाया है कि अयोध्या में एक मंदिर होना चाहिए। वास्तव में, कांग्रेस-यूपीए सरकार ने भगवान राम के अस्तित्व को नकारने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हलफनामा दायर किया था। अब वहां एक मंदिर बना है। ऐसे में उनका इनकार उसी का हिस्सा है जो वे हमेशा से मानते रहे कि वे वहां मंदिर नहीं चाहते थे और अब कह रहे हैं कि यह भाजपा का एक कार्यक्रम है। वास्तव में, यह कांग्रेस पार्टी की अपनी सोच से मेल नहीं खाता है।

स्मृति ईरानी ने भी कांग्रेस की आलोचना की
इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी कांग्रेस की आलोचना की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का भगवान राम विरोधी चेहरा देश के सामने है। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। सोनिया गांधी और कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी गठबंधन ने बार-बार सनातन धर्म का अपमान किया है। अब, INDI एलायंस के नेताओं द्वारा ‘प्राणप्रतिष्ठा’ के निमंत्रण को अस्वीकार करना उनकी सनातन विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।

शिवसेना यूबीटी सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भाजपा पर कसा तंज
कांग्रेस नेताओं द्वारा अयोध्या में राम मंदिर के ‘प्राणप्रतिष्ठा’ समारोह के निमंत्रण को अस्वीकार करने पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जहां तक राम मंदिर का सवाल है, यह हमारी भक्ति का विषय है। मैं इस पर कोई राजनीति नहीं करूंगी। लेकिन एक सवाल यह है कि देश में चार शंकराचार्य हैं और उन्होंने भी कहा है कि वे समारोह में भाग नहीं लेंगे। क्या वे भी गलत हैं? भगवान राम निवास करते हैं हमारे दिल, दिमाग, धर्म, आस्था, निर्णय और कृत्य सभी में। इस पर कोई राजनीति नहीं है। सवाल यह है कि इस पर राजनीति कौन कर रहा है?

डीके शिवकुमार ने टिप्पणी करने से किया इनकार
वहीं, कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने इस मामले में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। इस पर पार्टी आलाकमान जवाब देगा।

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