जबलपुर। अधारताल तहसील में फर्जी वसीयतनामा के आधार पर भूमि हड़पने के मामले में तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे और सात अन्य कर्मचारियों को क्राइम ब्रांच ने हिरासत में ले लिया है। यह कार्रवाई एसडीएम की शिकायत पर की गई है, जिसमें भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
मामले का विवरण इस प्रकार है:
1. तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे ने 8 अगस्त 2023 को आदेश पारित कर ग्राम रेगवा की भूमि पर श्री शिवचरण पांडेय का नाम विलोपित कर श्याम नारायण चौबे का नाम दर्ज किया।
2. यह नामांतरण महावीर प्रसाद पांडेय की अपंजीकृत वसीयत के आधार पर किया गया था।
3. श्री शिवचरण पांडेय पिछले 50 वर्षों से उक्त भूमि पर खेती कर रहे थे और उनकी संपत्ति पर भौतिक रूप से कब्जा था।
4. श्याम नारायण चौबे की पुत्री दीपा दुबे तहसील कार्यालय में कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में कार्यरत हैं। इस मामले में उनकी और पटवारी श्री जोगिंदर पिपरी की संलिप्तता पाई गई है।
5. फर्जी वसीयतनामा के आधार पर श्याम नारायण चौबे का नाम दर्ज कर संपत्ति को बिक्री के लिए पेश किया गया।
6. आवेदन पत्र में श्री श्याम नारायण चौबे का नाम नहीं था और दस्तावेजों में कई विसंगतियाँ पाई गईं।
7. वर्तमान भूमिस्वामी को विधिवत सूचित नहीं किया गया।
8. वसीयत का स्टाम्प और शपथ पत्र में कई कमी हैं, जैसे गवाहों की उम्र और आवास का उल्लेख नहीं होना।
9. मृत्यु प्रमाण पत्र में महावीर प्रसाद की मृत्यु की तारीख सही नहीं है।
10. पटवारी की रिपोर्ट एकपक्षीय और दुर्भावनापूर्ण थी।
11. राजस्व अभिलेख में महावीर प्रसाद का नाम दर्ज नहीं था।
12. तहसीलदार ने कानून की अनदेखी कर अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर आदेश पारित किया।
13. अनुविभागीय अधिकारी ने तहसीलदार द्वारा पारित आदेश को विधि विरुद्ध मानते हुए अपास्त किया।
14. तहसीलदार, पटवारी और कंप्यूटर ऑपरेटर के खिलाफ पदीय अधिकारों के दुरुपयोग और कूट रचित दस्तावेज के आधार पर कार्रवाई की गई है।