JABALPUR: दिव्यांग सब्जी वाले के बेटे ने नेशनल तीरंदाजी में जीता सोना, महज 11 साल की उम्र में बनाया कीर्तिमान

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जबलपुर। प्रतिभा किसी उम्र व साधन की मोहताज नहीं होती है। यह बात साबित कर दिखाई है जबलपुर के होनहार तीरंदाज सोहित कुमार ने। उन्होंने आंध्र प्रदेश के गुंटूर में आयोजित अंडर-15 राष्ट्रीय तीरंदाजी चैंपियनशिप में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक जीता है। उन्होंने महज 11 वर्ष की उम्र में कारनामा करते हुए 720 में से 710 अंक प्राप्त किए।
इस सफलता के पीछे सोहित कुमार के संघर्ष की कहानी भी छिपी हुई है। अलीगढ़ उत्तर प्रदेश में एक जमींदार के पास कार्य करने वाले सोहित के पिता का एक पैर दुर्घटना में 15 साल पहले कट गया था। जमींदार का बेटा रिंकू चौधरी आर्मी में कार्यरत था और उसकी पोस्टिंग जबलपुर में थी। इसके कारण वे सोहित के पिता व उनके परिवार को जबलपुर ले आए थे। परिवार के भरण पोषण के लिए उन्होंने सोहित के पिता को गोरा बाजार के समीप सब्जी की दुकान खुलवाई थी।
रिंकू ने बेटे की भी की मदद
सोहित कुमार की तीरंदाजी के लगाव को देखते हुए रिंकू सिंह उसे लेकर जबलपुर स्थित एमपी स्टेट आर्चरी अकादमी पहुंचे थे और कोच रिचपाल सिंह से मिलवाया था। कोच रिचपाल सिंह ने उसमें छिपी प्रतिभा को देखा और मार्गदर्शन से उसे उभारा। सोहित ने साल 2024 में आयोजित एसजीएफआई स्कूल नेशनल गेम्स गुजरात में तीन अलग-अलग इवेंट में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीतकर सबका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करवाया। उत्तराखंड में हुए ओपन नेशनल आर्चरी टूर्नामेंट में भी स्वर्ण पदक हासिल किया। उनके निरंतर प्रदर्शन को देखते ओजीक्यू ने सोहित कुमार के साथ अनुबंध किया है।
ओलंपिक का लक्ष्य
सोहित से उम्मीद है कि वह भविष्य में भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी पदक ला सकते हैं। उसका अगला लक्ष्य 2028 में लॉस एंजेलिस में होने वाले ओलंपिक खेल हैं, जहां कंपाउंड तीरंदाजी पहली बार शामिल की जाएगी।
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