उज्जैन। आगामी 2 सितंबर को उज्जैन में भूतभावन महाकाल की शाही सवारी निकाली जाएगी। लेकिन, इसी दिन सोमवती अमावस्या होने से शिप्रा नदी के साथ ही सोम कुंड में भी स्नान करने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचेंगे। इस स्थिति में प्रशासन को दोहरी जिम्मेदारी निभानी होगी। ज्योतिषियों के अनुसार इस बार सोमवती अमावस्या बृहस्पति के केंद्र त्रिकोण योग में आ रही है। बृहस्पति को धर्म का कारक ग्रह माना जाता है। अमावस्या की पूजा धन, ऐश्वर्य, संतान वृद्धि और संतान की उत्पत्ति के लिए भी विशेष मानी जाती है। पितरों के निमित्त इस दिन का विशेष महत्व होता है। ग्रह गोचर में सूर्य और चंद्र ग्रह का सिंह राशि में परिभ्रमण और मघा नक्षत्र पर संचरण विशेष रूप से पितरों को प्रसन्न करने के लिए अनुकूल होता है। यही नही, मध्य रात्रि में भगवती लक्ष्मी की साधना भी विशेष फलदायक मानी जाती है, जिससे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शाही सवारी का 7 किमी. मार्ग पर होगा भ्रमण
श्रावण-भादौ महोत्सव के दौरान बाबा महाकाल की शाही सवारी 2 सितंबर को निकाली जाएगी। प्रशासन और पुलिस द्वारा इस सवारी की सुरक्षा व्यवस्था और तैयारियों की शुरूआत आज से की जा रही है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस शाही सवारी में 5 लाख से अधिक श्रद्धालु शामिल होंगे। अब तक बाबा के नगर भ्रमण के दौरान 1500 पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाती थी, लेकिन शाही सवारी में 2000 से 2500 पुलिसकर्मियों और अधिकारियों की तैनाती की जाएगी। सवारी मार्ग पर ड्रोन से नजर रखी जाएगी और ऊंची बिल्डिंगों पर दूरबीन से निगरानी रखने वाले पुलिसकर्मियों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। नगर निगम, बिजली विभाग और पीडब्ल्यूडी विभाग से जुड़े काम सवारी मार्ग पर जल्द से जल्द पूरे कराए जाएंगे। देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पार्किंग व्यवस्था की जिम्मेदारी यातायात पुलिस पर होगी।
महाकालेश्वर मंदिर के 150 कर्मचारियों को प्रशासक ने थमाए नोटिस
श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक ने 150 कर्मचारियों को ड्यूटी पर देर से आने के चलते कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। यह नोटिस सावन मास के दौरान 19, 20, 21 और 22 अगस्त को अपनी ड्यूटी पर 5 से 10 मिनट देर से पहुंचने के कारण दिए गए हैं। प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने कर्मचारियों को समय पर ड्यूटी पर आने का निर्देश दिया है। सावन मास के दौरान सुबह की शिफ्ट में आने वाले कर्मचारियों को सुबह 6 बजे के बजाय 4:30 या 5 बजे तक मंदिर पहुंचना पड़ता है, जिससे उनके रूटीन में बदलाव होने के कारण वे कुछ देर से पहुंच रहे हैं।