सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण को लेकर हरियाणा और पंजाब को फटकार लगाई

आदेश का पालन नहीं हुआ तो मुख्य सचिव पर होगी अवमानना की कार्रवाई

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को लेकर हरियाणा और पंजाब को फटकार लगाई है। बुधवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि आदेश का पालन नहीं हुआ तो हरियाणा के मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले आदेश का पालन नहीं किए जाने को लेकर बुधवार 16 अक्टूबर को हरियाणा और पंजाब सरकार को जबरदस्त फटकार लगाई है। कोर्ट ने चेतावनी दी और कहा कि यदि उसके आदेश का पालन नहीं किया गया तो हरियाणा के मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना ​​की कार्रवाई की जाएगी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि आखिर पराली जलाने वालों के खिलाफ मुकदमा चलाने और नाममात्र को जुर्माना लगाकर लोगों को छोड़ने से राज्य क्यों कतरा रहा है? इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को एक सप्ताह का समय देने की बात कहते हुए कहा कि यदि आदेश का पालन नहीं किया गया तो मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना ​​का मामला दर्ज करेंगे। कोर्ट के इस सवाल पर कि आप लोगों पर मुकदमा चलाने से क्यों कतराते हैं? हरियाणा के वकील ने बताया कि हमने इस साल करीब 17 के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं।

कानून का उल्लंघन करने वालों पर एक भी मुकदमा नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने जहां यह कहा कि आयोग का कोई भी सदस्य वायु प्रदूषण से निपटने के लिए योग्य नहीं हैं वहीं इस बात को लेकर हैरानी भी जताई कि कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया यहां तक कि कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ अभी तक एक भी मुकदमा नहीं चलाया गया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि सब कुछ महज कागज़ों पर चल रहा है। पराली जलाने वालों को रोकने में असफल रहने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के मुख्य सचिव को अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश होने का आदेश भी दे दिया।

नाममात्र का जुर्माना और कुछ नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आप तो नाममात्र का जुर्माना ले रहे हैं। हद यह है कि इसरो आपको बता रहा कि आग कहां लगी थी और आप कहते हैं कि आपको कुछ नहीं मिला। कोर्ट ने कहा कि कानून उल्लंघन के 191 मामले आए और आपने सिर्फ़ नाममात्र का जुर्माना लिया। एनसीटी क्षेत्र अधिनियम के तहत आयोग द्वारा दिए गए निर्देशों की अवहेलना की गई है। इस पर हरियाणा सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने गलती स्वीकार करते हुए कहा कि मैं अपनी ओर से हुई चूक या गलती को स्वीकार करता हूं। इस पर कोर्ट का कहना था कि यह कोई राजनीतिक मामला नहीं है यदि मुख्य सचिव किसी के इशारे पर काम कर रहे हैं तो उनके खिलाफ भी हम समन जारी करेंगे।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाई और कहा कि पंजाब सरकार ने भी पराली जलाने पर रोक के आदेश पर कुछ नहीं किया। विगत 03 सालों में पंजाब ने एक भी व्यक्ति पर मुकदमा नहीं चलाया। नाममात्र का जुर्माना लगा रहे हैं और कुछ नहीं किया गया। धान की पराली जलाई जा रही है और आप वायु प्रदूषण निवारण अधिनियम 1981 के तहत कुछ करना ही नहीं चाहते। वायु लगातार प्रदूषित हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने पर रोक लगाने में असफल रहने पर पंजाब सरकार के मुख्य सचिव को भी अगले बुधवार 23 अक्टूबर को सुनवाई में अदालत में व्यक्तिगत तौर पर पेश होने के आदेश दिए हैं। पंजाब और हरियाणा को फटकार लगाने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को भी आदेश दिया कि हरियाणा और पंजाब के जिन अधिकारियों ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया उनके खिलाफ वो कारवाई करे। दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण से लोगों का जीना मुहाल हो जाता है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने इस बार सख्ती दिखाई है, ताकि समस्या का समाधान निकाला जा सके।

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