आगरा। दुनिया के सात अंजूबों में शुमार ताजमहल को फिर से तेजोलिंग महादेव मंदिर बताने का दावा किया गया है। ताजमहल को तेजोलिंग महादेव मंदिर बताकर सिविल जज जूनियर डिवीजन शिखा सिंह की अदालत में वाद दाखिल किया गया है। अदालत में दायर वाद में भगवान तेजो महादेव, योगेश्वर श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट, क्षेत्रीय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट और अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह वादी है। प्रतिवादी के तौर पर संस्कृति मंत्रालय के सचिव ,भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक और अधीक्षक पुरातत्वविद, उत्तर प्रदेश पर्यटन के महानिदेशक को बनाया गया है। मामले में सुनवाई की 9 अप्रैल तय की गई है।
अधिवक्ता प्रताप ने बताया है कि 1 जनवरी को वाद दायर किया था। न्यायालय ने धारा 80 (1) (सिविल प्रक्रिया संहिता) की कार्रवाई पूरी करने को कहा था। विपक्षियों को धारा 80(1) के तहत नोटिस भेज थे। इसकी दो माह की समय सीमा गुजरने के बाद वाद दाखिल किया गया है। वाद दाखिल करने से पहले हमारे द्वारा कई अहम सबूत जुटाए हैं। कई आरटीआई का सहारा लेकर साक्ष्य को जुटाया गया है। तब जाकर वाद दाखिल किया है।
अधिवक्ता प्रताप ने बताया कि साल 2023 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से सूचना का अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई थी। एएसआई ने बताया कि इसके लिए ताजमहल की वेबसाइट व संबंधित पुस्तकों को पढ़ सकते हैं। इसके बाद उन्होंने बाबरनामा, हुमायूं नामा , रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल, एएसआई के बुलेटिन ,एपीग्राफिका इंडिका, विश्वकर्मा प्रकाश, पुराण पढ़े। उनके माध्यम से वह कह सकते हैं कि ताजमहल का अस्तित्व शाहजहां से पूर्व का है। यह मूल रूप से तेजो लिंग महादेव का मंदिर है।