वामपंथी को जज बनाने पर केंद्र की आपत्ति पर कॉलेजियम ने एक-एक आपत्ति का दिया जबाव

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कहा कि किसी भी उम्मीदवार को केवल उसके राजनीतिक अतीत के कारण जजशिप से वंचित नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही कॉलेजियम ने केरल उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के समर्थक की नियुक्ति पर केंद्र की आपत्ति को खारिज कर दिया। इसने एक भाजपा नेता की ओर भी इशारा किया जिन्हें मद्रास हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाले कॉलेजियम ने मंगलवार को अपने प्रस्ताव में कहा, किसी उम्मीदवार को जज न बनाने के लिए केवल उसकी राजनीतिक पृष्ठभूमि पर्याप्त कारण नहीं हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और बीआर गवई भी शामिल हैं। कॉलेजियम ने मंगलवार को केंद्र को केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए छह वकीलों के नामों की सिफारिश की थी।
खास बात यह है कि कॉलेजियम ने अपने प्रस्ताव में भारतीय जनता पार्टी की पूर्व नेता एल विक्टोरिया गौरी को जज बनाए जाने को लेकर सरकार की ओर से कोई आपत्ति नहीं आई थी। गौरी लगभग एक साल तक भाजपा की सदस्य थीं। उन्होंने अगस्त 2019 में भाजपा ज्वाइन की थी। तब उनका ट्विटर हैंडल चौकीदार विक्टोरिया गौरी था। उनके बायो में उन्हें भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महासचिव लिखा था। कॉलेजियम ने कहा, उदाहरण के लिए, हाल के दिनों में, एक वकील को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया है, हालांकि वह पदोन्नति से पहले एक राजनीतिक दल की पदाधिकारी थीं। कॉलेजियम ने इस आपत्ति को खारिज कर दिया। इसने माधवन की कथित राजनीतिक संबद्धता पर आधारित केंद्र की आपत्ति को बेहद अस्पष्ट बताया। कॉलेजियम ने अपने प्रस्ताव में कहा, यह इनपुट कि उम्मीदवार को सीपीआई (एम) का समर्थक माना जाता है, अस्पष्ट है। इसका कोई ठोस आधार नहीं है। इसके अलावा, केवल यह तथ्य कि उम्मीदवार की राजनीतिक पृष्ठभूमि रही है, तो यह उसे जज न बनाए जाने का पर्याप्त कारण नहीं हो सकता है।
सरकार की दूसरी आपत्ति थी कि माधवन को एलडीएफ सरकार द्वारा 2010 और 2016-2021 में सरकारी वकील के रूप में नियुक्त किया गया था। इस पर कॉलेजियम ने कहा कि यह तथ्य भी उनकी उम्मीदवारी को अस्वीकार करने का वैध आधार नहीं है। इसने कहा, वास्तव में, सरकारी वकील के रूप में उम्मीदवार की नियुक्ति यह संकेत देगी कि उसने उन मामलों को संभालने में पर्याप्त अनुभव हासिल किया होगा जहां राज्य खुद कानून की विभिन्न शाखाओं में एक पक्ष है।
इसमें आगे कहा गया कि माधवन एससी समुदाय से हैं और उनके पास वकालत का पर्याप्त अभ्यास है। इसने कहा, उनके प्रदर्शन को उच्च न्यायालय के कॉलेजियम के सदस्यों द्वारा देखा गया है। इसलिए, कॉलेजियम का विचार है कि उम्मीदवार उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए उपयुक्त है।

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