भोपाल। जब-जब सांसदों और विधायकों की सैलरी बढ़ाए जाने का फैसला खुद सांसद और विधायक संसद और विधानसभा स्वतः कर लेते हैं, तो उनके इस कदम से आम नागरिक और निचले तबके के गरीबों में मन ही मन कसमसाहट सी होती है। हाल ही में मध्यप्रदेश विधानसभा में बीजेपी के विधायक उमाकांत शर्मा ने बजट सत्र के आखिरी दिन विधानसभा में यह कहकर सभी को चौंका दिया कि वे अपना वेतन और भत्ता छोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति सेवा का माध्यम है और उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को खुदका आदर्ष बताया।
जब पीएम छोड़ सकते हैं तो मैं क्यों नहीं?
सिरोंज से बीजेपी विधायक उमाकांत शर्मा ने कहा कि उन्होंने यह कदम जनसेवा के लिए लिया है। राजनीति सेवा का माध्यम है न कि व्यक्तिगत लाभ का। शर्मा ने कहा कि जब हमारे प्रधानमंत्री खुद अपना वेतन छोड़ सकते हैं तो मैं ऐसा क्यों नहीं कर सकता। शर्मा ने अन्य विधायकों से भी ऐसा कदम उठाने की अपील भी की।