उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने राहुल गांधी को दिखाया ठेंगा, ब्रजभूषण सिंह के करीबी को बनाया जिलाध्यक्ष

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गुजरात। राहुल गांधी ने गुजरात की अपनी यात्रा के दौरान यह बयान दिया था कि कांग्रेस में कई लोग भाजपा के समर्थक हैं। ऐसे लोगों को पार्टी से बाहर किया जाएगा तभी पार्टी ठीक तरीके से चल पाएगी। लेकिन लगता है कि राहुल गांधी का यह मंत्र उनकी अपनी ही पार्टी के नेता नहीं समझ सके हैं। यही कारण है कि भाजपा के एक करीबी नेता को गोंडा का जिलाध्यक्ष बना दिया गया है।  यूपी कांग्रेस की आई जिलाध्यक्षों की सूची में कई नामों पर सवाल उठ रहे हैं। पार्टी के इस फैसले से नाराज कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं तो कुछ ऐसे नेताओं के खिलाफ दिल्ली तक शिकायत करने की तैयारी कर रहे हैं। कांग्रेस ने दो दिन पहले ही यूपी के लिए सभी जिलाध्यक्षों की घोषणा की है। इसमें गोंडा से राम प्रताप सिंह को जिलाध्यक्ष बनाया गया है। लेकिन वे न केवल भाजपा के टिकट पर विधायक चुने जा चुके हैं, बल्कि पिछले चुनाव में भी भाजपा के टिकट पर ही चुनाव लड़ना चाहते थे। भाजपा के वर्तमान विधायक का टिकट न कटने के कारण राम प्रताप सिंह को भाजपा का टिकट नहीं मिल पाया जिससे नाराज होकर वे वे कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

बृजभूषण सिंह के करीबी हैं राम प्रताप सिंह
दरअसल, राम प्रताप सिंह को बृजभूषण शरण सिंह का करीबी माना जाता है। बीते फरवरी महीने में ही 10 तारीख को राम प्रताप सिंह ने अपने पिता के सम्मान में एक बड़ा कार्यक्रम किया था जिसमें उन्होंने बृजभूषण शरण सिंह को मुख्य अतिथि बनाया था। बृजभूषण शरण सिंह ने मंच से खुला ऐलान किया था कि वे हर स्थिति में राम प्रताप सिंह के साथ हैं और आगे भी रहेंगे। भाजपा के एक दिग्गज नेता के करीबी को कांग्रेस के इतने महत्त्वपूर्ण पद पर बैठाने को कांग्रेस के कार्यकर्ता शंका की नजर से देख रहे हैं। चर्चा है कि बृजभूषण शरण सिंह ने पिछले विधानसभा चुनाव में भी राम प्रताप सिंह को भाजपा से टिकट दिलाने की कोशिश की थी। लेकिन प्रदेश के शीर्ष भाजपा नेताओं से तालमेल न होने के कारण राम प्रताप सिंह को टिकट नहीं मिल पाया। इसके बाद वे बागी हो गए और कांग्रेस में शामिल हो गए।

‘फिर पाला बदल सकते हैं राम प्रताप सिंह’
कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने अमर उजाला को बताया कि पार्टी इन जिलाध्यक्षों की नियुक्ति 2027 के यूपी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए कर रही है। लेकिन यह सभी जानते हैं कि राम प्रताप सिंह भाजपा के कार्यकर्ता-नेता थे। टिकट न मिलने के बाद ही वे कांग्रेस में आए हैं। इस बात की पूरी आशंका है कि राम प्रताप सिंह चुनाव के समय एक बार फिर भाजपा में शामिल हों और उसके टिकट पर चुनाव लड़ें। इस समय भी बृजभूषण शरण सिंह उनका पूरा साथ देने की बात कह रहे हैं। ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि चुनाव में बृजभूषण उन्हें अपने कोटे से टिकट दिलाने की कोशिश करें। उन्होंने कहा कि ऐसे में पार्टी इतने महत्त्वपूर्ण पद पर किसी बाहरी के करीबी को कैसे बैठा सकती है। राम प्रताप सिंह ने जब फरवरी में अपने पिता के सम्मान में कार्यक्रम किया, तब मंच पर कांग्रेस का कोई नेता मौजूद नहीं था, जबकि मंच पर बैठे सभी लोग भाजपा के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं। ऐसे में राम प्रताप सिंह की कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बीच स्वीकार्यता कैसे हो पाएगी और कार्यकर्ता उनके नेतृत्व में पार्टी के लिए कैसे काम कर पाएगा। राम प्रताप सिंह के उस कार्यक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। इसके बाद कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने राम प्रताप सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कई कार्यकर्ताओं ने फेसबुक-एक्स पर राम प्रताप के खिलाफ बातें कही हैं। इससे पार्टी की किरकिरी हो रही है।

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